







दिल्ली कैंपस के बारे में
एनआईएफटी की स्थापना 1986 में दिल्ली में हुई थी और इसके पहले वर्ष में फैशन डिजाइन का केवल एक कार्यक्रम था। परिसर ने शुरुआत में अपने प्रारंभिक वर्षों में स्थापित एक अस्थायी दो कमरे से काम करना शुरू कर दिया और 1994 में एक पूर्ण परिसर में स्थानांतरित हो गया। डॉ बी. वी. दोशी द्वारा डिजाइन की गई इमारत वर्षा जल के संरक्षण के लिए केंद्रीय कदम-कल्याण की अवधारणा पर आधारित है, एक पारंपरिक भारतीय बाओली और दिल्ली के आधुनिक आइकॉनिक वास्तुकला में से एक के रूप में सूचीबद्ध है। उस समय एनआईएफटी के पास केवल चार कार्यक्रम थे, दो मास्टर स्तर(गारमेंट मैन्युफैक्चरिंग टेक्नोलॉजी और अपैरल मार्केटिंग एंड मैनेजमेंट) और दो स्नातक स्तर (एक्सेसरी डिज़ाइन ) में थे। दिल्ली सबसे बड़ा परिसर है जो एनआईएफटी के सात स्नातक और तीन मास्टर कार्यक्रमों के सभी कार्यक्रम प्रदान करता है और इसके पास सबसे बड़ी छात्र शक्ति है।
शिल्प समूह की पहल
भारत की विभिन्न जीवंत हस्तशिल्प परम्पराओं विशेष रूप से वस्त्र उद्योग में हथकरघा उद्योग कोई विशेष उन्नति नहीं कर पाया था परन्तु निफ्ट इस क्षेत्र में प्रदर्शन तथा लिखित प्रमाण के निरंतर प्रयासों के द्वारा अपने छात्रों को इस विधा की उच्च जानकारी तथा शिक्षा दे कर इस परम्परा तथा भारत की बहुआयामी शिल्प परम्परा को उसका सही स्थान दिलाने में सफल हुआ है। हस्तशिल्प और हथकरघा विकास आयुक्त के सहयोग से इसके शिल्प समूह की पहलों को प्रोत्साहन मिला तथा इन हस्तशिल्पों को संस्था के साथ जोड़ कर निफ्ट के डिज़ाइन तथा प्रबंधन क्षेत्र के पाठ्यक्रम से जोड़ा गया ताकि पारस्परिक अनवरत सहक्रिया तथा प्रयासों के द्वारा भारत के सभी कोनों के हस्तशिल्पियों को इस संस्था से जोड़ा जा सके।